जवाबदेही यात्रा ने 31 वां जिलें जोधपुर को अलविदा कहते हुए नागौर में प्रवेश किया. आज नागौर के जिला कलेक्टर के सामने जवाबदेही मेला लगा और डेह में नुक्कड़ सभा की. जिसमे लोगों ने अपनी समस्या सामने रखी.

शिकायत कैंप में आई नसीम बानो ने बताया की वह पिछले 2.5 साल से विधवा है और अपने 4 बच्चो के साथ रहती है. उसने विधवा पेंशन के लिए दो बार आवेदन किया परन्तु अभी तक पेंशन शुरू नहीं हुई. उनके पास ए. पि. एल कार्ड है. खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत वह स्वत: ही राशन से लाभारती होनी चाहिए परन्तु उनका नाम अभी तक राशन की सूचि में नहीं जोड़ा गया है. वह राशन की दूकान पर गयी तो डीलर ने उन्हें गुमराह कर लताड़ दिया. परिस्थति यहा तक है की नसीम बानो की विधवा पेंशन शुरू न होने की वजह से उनके बच्चों को पालनहार से भी वंचित रहना पड़ रहा है. ऐसे में नसीम बानो की दिक्कतों की जवाबदेही कौन तय करेगा यह सवाल है जिसका जावाब राजस्थान की जनता मांग रही है.

यात्रा को संबोधित करते हुए निखिल डे बताया कि 9 मार्च को जयपुर में जन सुनवाई होगी और 10 मार्च को जवाबदेही कानून की मांग को लेकर एक बड़ा प्रदशन होगा. जिसमे देश भर से लोग जुड़ेंगे. उन्होंने बताया कि जन सुनवाई मुख्यत: 10 मुद्दों पर होगी. जिसमे राशन, पेंशन, स्कूल, स्वास्थ, नरेगा, दलित एवं अल्प संखयक के साथ भेदभाव, महिला हिंसा, आदिवासियों के जमीन से जुड़े, कलाकारों, घुमंतू एवं अर्ध घुमंतू के अधकारों की बात होगी.

इसके अलावा जयपुर में अभ्व्यक्ति की आजादी और प्रदर्शन के लिए जगह बनाने की मांग होगी. उन्होंने कहा की जयपुर में सामाजिक मुद्दों पर प्रदर्शन करने के लिए जयपुर कोई जगह नहीं बची है.

साथ ही यात्रा से जुड़े शंकर सिंह बताया कि आज सरकारी स्कूल और अस्पतालों की हालत दयनीय है और इसका कारण खुद सरकारी करमचारियों की लापरवाही एवं अविश्वास है. उन्होंने बताया कि सरकारी करमचारियों के परिवार वालें प्राइवेट संथाओ में जाकर पढाई एवं इलाज करवाते है ऐसी स्थिति में सरकारी अस्पताल और स्कूल की हालत कैसे सुधर सकती है. इसलिए यह हालत सुधारने के लिए सरकारी करमचारियों और उनके परिवारों वालों को सरकारी संस्थाओ में ही जाना होगा वरना वह सरकारी नौकरियां छोड़ दे.

जिला कलक्टर तथा अधिकारिओं से मिला प्रतिनिधि-मंडल

यात्रा का एक प्रतिनिधि मंडल जिला प्रशासन से मिला. प्रशासन के साथ हुई इस मीटिंग में जिला कलक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी, जिला रसद अधिकारी तथा अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे. यात्रा के प्रतिनिधि-मंडल में सूचना एवं रोज़गार अभियान के निखिल डे, मुकेश गोस्वामी, कमल टांक तथा जवाबदेही यात्रा के अन्य साथी शामिल थे.

राशन सम्बन्धी शिकायतों पर जिला रसद अधिकारी ने आश्वासन दिया कि सभी राशन दुकानों पर खाध्य सुरक्षा लाभार्थिओं की सूची चस्पा करने की जाएगी. साथ ही ई-मित्र केन्द्रों पर मुहमांगी राशी वसूले जाने पर जिला कलक्टर ने कहा कि सभी ई-मित्र केंद्र संचालकों को निर्देश दिए जायेंगे कि वे विभिन्न सुविधाओं की रेट-लिस्ट अपने केन्द्रों के बाहर लगायें और ये साफ़ तौर पर लिखें कि विभिन्न सुविधाएं प्राप्त करने की निर्धारित फीस क्या है. पेंशन को अटल सेवा केंद्र में मजमें आम में बाटने के लिए दिए गए सुझाव को पायलट बेसिस पर किसी एक ग्राम पंचायत पर लागु करने की बात कही. यात्रा की ओर से कलाकारो के साथ संवाद को लेकर कलेक्टर कहा की वह 30 मार्च को जिला स्तरीय कलाकार संवाद करेंगे. खानों की पारदर्शिता को लेकर उन्होंने अस्वाशन दिया की वह खानों से जुडी सभी प्रकार की जानकारी जैसे की खान का मालिक, लीज और क्षेत्र फल से जुडी जानकारी की पंचायत भवन में चस्पा करेंगे. मीटिंग में यह बात सामने आई की नागौर में ग्राम सेवकों एवं पंचायतों की मदत से पालनहार पहले से दोगुना जो की लगभग 4000 से 13000 लाभारती चिन्हित हुए है. साथ ही जिला कलक्टर ने अन्य मुद्दों पर भी शीघ्र और उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया.

कमल टाक ने बताया यात्रा से जुड़ने के लिए लोग 76763070907676307090 पर मिस कॉल कर सकते है. उलेखनीय है की 1 दिसम्बर 2015 से चल रही जवाबदेही यात्रा अपने अंतिम पड़ाव में है और अगले दो दिन यात्रा नागौर के अलग अलग ब्लाक एवं पंचायतों में जवाबदेही की अलख जागते हुए 6 मार्च को अपने अंतिम जिलें जयपुर में प्रवेश करेगी.

सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान राजस्थान की ओर से

संपर्क – निखिल डे- 94140041809414004180 मुकेश- 468862200, कमल –94134572929413457292, अमित -0987352210409873522104, हरिओम94138317619413831761

फ़िरोज़ खान
मीडिया कॉडिनेटर
एच एम् आर सी बारां ।
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आप JNU बहस में मुझसे सहमत हों या नहीं, कन्हैया कुमार का यह ऐतिहासिक भाषण जरूर सुनियेगा!उसके विचारों से आप भले ही असहमत हों, आप नहीं चाहते कि हमारे विश्वविद्यालयों में ऐसे छात्र नेता हों? JNU आपको पसंद हो या न हो, आप नहीं चाहते ऐसी जगह हो जहाँ रात को खुले आकाश के नीचे लडके और लड़कियां जनसभा में खुल के बोल सकें, सत्ता पर हंस सकें, बड़े से बड़ी कुर्सी को चुनौती दे सकें? इस भाषण को सुनकर आपको अपने देश पर गर्व नहीं होता, लोकतंत्र पर मन नहीं इतराता? और आखिर में आज़ादी के नारे सुनकर आपके रौंगटे नहीं खड़े होते?
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